रविवार 2 फ़रवरी 2025 - 19:55
ग़ज़्ज़ा के छोटे से क्षेत्र की इस्राईली और अमेरिकी ताकत पर विजय, जो असंभव थी, लेकिन अल्लाह की अनुमति से हक़ीक़त बनी

हौज़ा /आज सुबह, 41वीं अंतर्राष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रमुख प्रोफेसरों, वाचकों और हिफ़्ज़ करने वालों के साथ-साथ आम जनता के एक वर्ग के साथ एक बैठक में, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने क़ुरआन को आदरणीय पैगंबर मुहम्मद (स) का शाश्वत चमत्कार कह और इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ईश्वर पर सच्चा भरोसा हर असंभव काम को संभव बना देता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अबा अब्दिल्लाहिल हुसैन (अ) के जन्मदिन की बधाई देते हुए क़ुरआनी और नबी की चमत्कारी शक्तियों को मानवता और सम्पूर्ण संसार के लिए एक बड़ी बरकत बताया। उन्होंने कहा कि क़ुरआन की तिलावत करते समय हमें यह समझना चाहिए कि हम आखिरी पैगंबर की चमत्कारी किताब का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने क़ुरआन के शब्दों, संरचना, अर्थों, और ईश्वरीय आदेशों को चमत्कारी बताया और कहा कि अगर इस किताब से सही तरीके से लाभ उठाया जाए, तो मनुष्यों की सारी समस्याएं हल हो सकती हैं और मानवता का जीवन बेहतर हो सकता है।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने क़ुरआन की गहरी समझ पाने में बुज़ुर्गों, उलमाओं और ज्ञानियों की भूमिका का ज़िक्र किया और कहा कि क़ुरआन के स्पष्ट और दिखने वाले संदेश सभी के लिए मार्गदर्शक होते हैं।

उन्होंने "तवक्कुल" (अल्लाह पर भरोसा) के क़ुरआनी अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि जैसा कि अल्लाह के क़ुरआन में आया है, "जो भी अल्लाह पर भरोसा करेगा, अल्लाह उसकी मदद करेगा।" इस प्रकार, अगर तवक्कुल की शर्तें पूरी की जाएं, तो यह अल्लाह का वादा ज़रूर पूरा होगा।

उन्होंने विश्वास और अल्लाह के वादों पर पूरा यकीन को तवक्कुल की मानसिक शर्त बताया और कहा कि बिना किसी शक के विश्वास करना चाहिए कि अल्लाह की इजाजत से, कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़्ज़ा के लोगों की इजरायली और अमेरिकी ताकत के खिलाफ जीत को "अशक्य को संभव बनाने" का एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि अगर पहले यह कहा जाता कि ग़ज़्ज़ा के लोग, जो एक छोटे से क्षेत्र में रहते हैं, एक बड़ी ताकत जैसे अमेरिका के खिलाफ लड़ेंगे और जीतेंगे, तो कोई विश्वास नहीं करता। लेकिन यह असंभव काम अल्लाह की अनुमति से हुआ।

उन्होंने "तवक्कुल" की दूसरी शर्त को कार्य में सक्रिय होने को बताया। उनका कहना था कि अल्लाह ने प्रत्येक कार्य के कुछ हिस्से इंसान पर छोड़ दिए हैं, और अगर इंसान इन जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाए और अल्लाह के वादों पर यकीन रखे, तो कोई भी कार्य, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो, संभव हो जाएगा।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने यह भी कहा कि इन्पीरियलिज़म (साम्राज्यवाद) का सामना सिर्फ ईरान ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों द्वारा किया जा रहा है, और ईरान की विशेषता यह है कि वह खुलकर यह कह सकता है कि अमेरिका एक आक्रमणकारी, झूठा, धोखेबाज और उपनिवेशवादी है, और यह मानवीय सिद्धांतों के खिलाफ है।

उन्होंने 46 सालों की संघर्षपूर्ण यात्रा के बाद, जिसमें पूरी दुनिया के साम्राज्यवादियों से मुकाबला किया गया, ईरान की सफलता की बात की। उन्होंने कहा कि ईरान न केवल इस संघर्ष में कमजोर नहीं पड़ा, बल्कि सभी क्षेत्रों में प्रगति की है।

उन्होंने क़ुरआन के हाफ़िज़ और क़ारी युवाओं की संख्या को देश की आध्यात्मिक प्रगति का उदाहरण बताया और कहा कि भौतिक क्षेत्रों में भी देश में प्रगति हो रही है, और यह प्रगति अल्लाह के विश्वास से जारी रहेगी, जब तक ईरान अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचता।

इस बैठक की शुरुआत में, औक़ाफ़ और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख ने 41वीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन प्रतियोगिता के आयोजन की रिपोर्ट दी, जिसमें 26 मुस्लिम देशों के क़ारीयों ने भाग लिया।

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